“डिफेंस सुनकर कोई डरता नहीं, अब नाम होगा ‘वॉर’!” – ट्रंप का नया धमाका

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका ताजा आदेश- “अब डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस नहीं, इसे ‘डिपार्टमेंट ऑफ वॉर’ कहा जाएगा!”

उन्होंने यह तर्क दिया कि “नाम ऐसा होना चाहिए जिससे दुश्मन बिना मिसाइल चलाए ही कांप जाए!”

इतिहास फिर से लिखने की तैयारी?

रॉयटर्स और पीटीआई की रिपोर्ट्स के मुताबिक़, ट्रंप शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। लेकिन एक छोटी सी दिक्कत है — अमेरिकी संविधान!

क्योंकि मंत्रालय का नाम बदलने के लिए कांग्रेस की मंज़ूरी अनिवार्य है। इतिहासकारों ने भी माथा पकड़ लिया है।
उनका कहना है कि:

“1949 में इसका नाम बदलकर ‘डिफेंस’ इसलिए रखा गया था ताकि दुनिया को लगे कि अमेरिका ‘युद्ध रोकना चाहता है, लड़ना नहीं।’

ट्रंप कहते हैं,

“हम तो पहले वार करते हैं, डिफेंस की ज़रूरत ही नहीं रहती!”

अमेरिका की छवि: ‘हम शांति के पुजारी नहीं, परमाणु प्रेमी हैं!’

ट्रंप के इस बयान के बाद इंटरनेशनल डिप्लोमैसी वर्ल्ड में हलचल मच गई है। कई देशों ने पूछ लिया है:

“तो क्या अब ‘पेंटागन’ को ‘थानागन’ कहा जाए?”

 कांग्रेस बोले: “नाम बदलो या न बदलो, दिमाग ज़रूर अपडेट करो!”

अमेरिकी डेमोक्रेट्स ने ट्रंप की इस पहल को “प्रतीकात्मक मगर पथभ्रष्ट” बताया है।
एक सीनेटर ने तंज कसते हुए कहा:

“हम रक्षा मंत्रालय को ‘वॉर’ बनाएंगे, फिर शिक्षा मंत्रालय को ‘बुद्धिहीनता विभाग’ क्यों न कर दें?”

इंटरनेट बोले: “डिपार्टमेंट ऑफ वॉर का लोगो होगा – ट्रंप हाथ में तलवार लिए!”

सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है।

  • किसी ने ट्रंप को ‘मार्शल लॉ किंग’ बता दिया।

  • तो किसी ने नया टैगलाइन सुझाया:

    “In Trump We War!”

क्या नाम बदलने से नीति बदलती है?

यह साफ है कि ट्रंप का यह कदम राजनीतिक सिग्नलिंग से अधिक कुछ नहीं, लेकिन यह एक बड़ा राष्ट्रवादी और ताकतवर इमेज बिल्डिंग मूव जरूर है।

पर सवाल वही:
क्या नाम बदलने से हथियारों की गरज तेज़ हो जाती है? या फिर ट्रंप को बस फिर से सुर्खियों में आना था?

रूस ने कहा “नो एंट्री” — यूक्रेन में विदेशी सैनिकों को मंज़ूरी नहीं!

Related posts

Leave a Comment